सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर हो रही अवैध वसूली…. डॉक्टर सहित स्टॉफ चला रहे अपना कारोबार, बेबस मरीजों की लाचारी का उठा रहे फायदा
डेस्क
मस्तूरी- केंद्र व प्रदेश सरकार गरीबों को मुफ्त और बेहतर इलाज मुहैया कराने के दावे कर रही है। इसके लिए हर माह स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की सांठगांठ से दूर-दराज से मस्तूरी स्वास्थ्य केंद्र में बेहतर इलाज की उम्मीद में पहुंचने वाले गरीबों से अवैध वसूली का खेल खुलेआम चल रहा है। यही नहीं मस्तूरी स्वास्थ्य केन्द्र में भले ही इलाज के लिए रेट लिस्ट नही टांगी गई है। लेकिन सभी इलाज के लिए यहां के डॉक्टर से लेकर निचले स्टाफ ने अपना रेट तय कर रखा है। इसको लेकर एक वीडियो भी सामने आया है। जहा सरकारी चोला पहले उगाही बाजो की करतूत साफ दिख रही है। वीडियो में चेयर पर बैठे डॉक्टर कोई और नही अनिल कुमार है।
जिन्होंने फेक्चर हुए हाथ में प्लास्टर लगाने के लिए 1500 रुपए की मांग की थी। लेकिन मोलभाव करके एक हज़ार रुपए में वसूली बाज डॉक्टर ने हामी भरी। वीडियो में साफ दिख रहा है कि वसूलीबाज डॉक्टर ने पैसे लेने के लिए बकायदा मस्तूरी स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ रानी दीक्षित महिला कर्मी को रखा है। जिसने मरीज के हाथो में प्लास्टर लगने के बाद एक हज़ार रुपए लेकर डाक्टर अनिल के डेस्क के ड्रॉज में डाल दिया। उगाही का खेल यही नहीं खत्म हुआ। मरीज जब हाथ मे पट्टी लगवाने के लिए ड्रेसर श्याम रतन पांडे के पास गया तब उन्होंने भी प्लास्टर के लिए 100 रुपये ले लिया।
इन सब के बीच सवाल यह है की आखिर मस्तूरी ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के नाम पर हो रही अवैध वसूली की जानकारी बीएमओ को अब तक क्यों नही लगी..? या फिर वसूली के खेल में डॉक्टर और इनमे शामिल अन्य स्टाफ मोहरे के रुप में काम कर रहे है। जिनकी कमान किसी और के हाथो में है.! अब देखना होगा इस गंभीर मसले में शासन-प्रशासन के कुंभकर्णी नींद कब तक टूटती है और ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की जाएगी..?
अवैध वसूली के नाम पर मस्तूरी स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों की महीने की कमाई सीएमएचओ के सैलरी से भी होती है अधिक…
सूत्रों की माने तो मस्तूरी स्वास्थ्य केंद्र में रोजाना सैकड़ों की संख्या में दूर अंचल से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं जहां पहुंचने के बाद से ही उनके साथ उगाही का खेल शुरू हो जाता है। विश्वनीय सूत्रो की माने तो यहां के डॉक्टर रोजाना 5 से 7 हजार की वसूली मरीजों से करते है। जिनके हिसाब से इनकी वसूली की कमाई ही 2 लाख से अधिक होती है। उतनी सैलरी तो स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सीएमएचओ डॉ अनिल श्रीवास्तव की भी नही है.!
दवाई की पर्ची और स्थान पहले से रहता है तय,,
इलाज के लिए मस्तूरी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने वाले गरीब मरीजों की समस्या अस्पताल तक सीमित नहीं रहती है। यहां इलाज के लिए पैसे तो लिए ही जाते हैं साथ साथ दवाई के नाम पर भी गरीबों को जमकर लूटा जा रहा है। यहां तैनात डॉक्टर अधिकांश मरीजों को ऐसे दवाई लिखते है। जो उनके द्वारा चयनित मेडिकल में ही उपलब्ध हो पाती है। या यू कहे जहा से डॉक्टरों को बिकने वाली दवाई के ऐवज में मोटी रकम कमीशन के रूप में मिल जाती है।