प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनटीपीसी सीपत में 800 मेगावाट क्षमता वाली स्टेज -3 विद्युत परियोजना की रखेंगे आधारशिला…कुल क्षमता में होगी बढ़ोतरी,

बिलासपुर – भारत की सबसे बड़ी एकीकृत विद्युत उत्पादन कंपनी एनटीपीसी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित सीपत सुपर थर्मल पावर परियोजना के तीसरे चरण के विकास के साथ मध्य भारत में बिजली आपूर्ति को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च 2025 को इस 800 मेगावाट क्षमता वाली पिट-हेड विद्युत परियोजना की आधारशिला रखेंगे। इस परियोजना की स्थापना 9,791 करोड़ रुपए के निवेश से की जाएगी और इसे मौजूदा सीपत सुपर थर्मल पावर स्टेशन परिसर में उपलब्ध भूमि पर स्थापित किया जाएगा। इस नए संयंत्र के चालू होने के बाद सीपत सुपर थर्मल पावर स्टेशन की कुल स्थापित क्षमता 3,780 मेगावाट तक पहुंच जाएगी, जिससे छत्तीसगढ़ सहित गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा जैसे लाभार्थी राज्यों की बढ़ती बिजली मांग को पूरा किया जा सकेगा।
तकनीकी दक्षता और पर्यावरण संरक्षण
सीपत स्टेज-3 संयंत्र में अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा, जिससे ईंधन की दक्षता में वृद्धि होगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। यह परियोजना एनटीपीसी की ऊर्जा संयंत्रों को अधिक उन्नत, पर्यावरण अनुकूल और प्रभावी बनाने की रणनीति का हिस्सा है। तकनीकी नवाचार के साथ-साथ एनटीपीसी सीपत-3 परियोजना स्थानीय समुदायों के कल्याण और सतत विकास को भी ध्यान में रखेगी।
एनटीपीसी ने इस परियोजना के तहत वनीकरण कार्यक्रम, जल संरक्षण और स्थानीय समुदायों के सहयोग जैसी पहलों को अपनाने की योजना बनाई है। परियोजना में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा ताकि पर्यावरणीय प्रभावों को न्यूनतम किया जा सके और सभी आवश्यक पर्यावरणीय मानकों का पालन किया जा सके।
क्षेत्रीय विकास और ऊर्जा सुरक्षा
इस परियोजना के पूरा होने से मध्य भारत के ऊर्जा परिदृश्य को मजबूती मिलेगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। सीपत स्टेज-3 संयंत्र उच्च क्षमता और विश्वसनीयता के साथ बिजली उत्पादन सुनिश्चित करेगा, जिससे औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति प्राप्त होगी। एनटीपीसी की इस पहल से न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बल मिलेगा बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास, औद्योगीकरण और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा मिलेगा। इस संयंत्र की स्थापना से भारत को स्वच्छ और सतत ऊर्जा उत्पादन के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे देश के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मजबूती आएगी।