बिलासपुर

15 वर्षों से मुआवजे के लिए भटक रहे पोड़ी के 40 आदिवासी किसान…..कोई नही कर रहा सुनवाई, सुशासन तिहार भी खत्म,

बिलासपुर – ग्राम पंचायत पोड़ी, तहसील सीपत के 40 आदिवासी किसानों को बीते 15 वर्षों से उनकी अधिग्रहित जमीन का मुआवजा नहीं मिल पाया है। सिंचाई विभाग द्वारा किए गए बांधा तालाब के विस्तार कार्य के दौरान इन किसानों की जमीन समतल कर अधिग्रहित कर ली गई थी। लेकिन न तो उन्हें मुआवजा मिला और न ही जमीन लौटाई गई, जिससे वे न खेती कर पा रहे हैं और न ही किसी अन्य आजीविका का साधन जुटा पा रहे हैं। प्रभावित किसानों का आरोप है कि वे बीते डेढ़ दशक से लगातार कलेक्ट्रेट, तहसील कार्यालय, जनप्रतिनिधियों और राजस्व विभाग के अफसरों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। हाल ही में सुशासन तिहार में भी किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर आवेदन सौंपा था, लेकिन वहां भी कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया। इस अन्याय से तंग आकर किसान एक बार फिर सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे और अंतिम बार अपनी मांगों को प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत किया।

किसानों ने स्पष्ट कहा कि यदि 15 दिनों के भीतर मुआवजे को लेकर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई, तो वे मजबूरीवश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। पीड़ित किसान फूलसिंह बिंझवार ने बताया, “हमने खेती के सहारे अपना जीवन गुजारने की योजना बनाई थी, लेकिन अब न तो जमीन है और न ही सरकार से न्याय मिल रहा है। अधिकारी सिर्फ फाइल घुमाते हैं, सुनवाई कोई नहीं करता।”किसानों की ओर से बताया गया कि संबंधित जमीन को अधिग्रहण के बाद सिंचाई विभाग ने अपने उपयोग में ले लिया है, और तब से अब तक वे किसान जमीन से पूरी तरह वंचित हैं। न उन्हें कोई वैकल्पिक जमीन दी गई है और न ही मुआवजा राशि।राजस्व विभाग और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता से नाराज़ किसानों का धैर्य अब जवाब दे चुका है। उनकी मांग है कि उन्हें उचित मुआवजा तुरंत दिया जाए ताकि वे फिर से अपने जीवन को पटरी पर ला सकें। इस पूरे मामले ने शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है, जहां आदिवासी गरीब किसान न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन किसानों की इस अंतिम चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेता है, या फिर एक बार फिर से उन्हें सिर्फ आश्वासन देकर लौटा दिया जाएगा।

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