भैसाझार भ्रष्टाचार: तत्कालीन एसडीएम आनन्द स्वरूप तिवारी निलंबित…. भू-अर्जन मुआवज़ा प्रकरण में बड़ी कार्रवाई,

बिलासपुर – छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने आज एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए आरटीओ अधिकारी आनन्द स्वरूप तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह निर्णय राज्य शासन द्वारा कोटा (जिला बिलासपुर) में अरपा-भैंसाझार परियोजना के अंतर्गत वितरक नहर निर्माण हेतु भूमि अर्जन में हुई अनियमितताओं की पृष्ठभूमि में लिया गया है। श्री तिवारी, जो उस समय कोटा के भू-अर्जन अधिकारी और अनुमंडल अधिकारी (एसडीएम) के रूप में पदस्थ थे, पर मुआवज़ा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितता और शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है। वर्तमान में वह वरिष्ठ क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO), बिलासपुर के पद पर कार्यरत थे। इस बीच उनके विरुद्ध प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम-3 का उल्लंघन करते हुए अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही और उदासीनता दिखाई।
राज्य शासन ने इस आधार पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम 9(1)(क) के अंतर्गत तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन की अवधि में उन्हें मुख्यालय कार्यालय आयुक्त, बिलासपुर संभाग में नियत किया गया है। इसके अतिरिक्त, उन्हें इस अवधि के दौरान मूलभूत नियम 53 के अंतर्गत जीवन निर्वाह भत्ता भी प्रदान किया जाएगा। इस कार्रवाई से शासन का स्पष्ट संकेत है कि प्रशासनिक पदों पर आसीन अधिकारियों से उच्चतम स्तर की ईमानदारी और उत्तरदायित्व की अपेक्षा की जाती है। यह कदम राज्य सरकार की पारदर्शी शासन व्यवस्था की दिशा में एक सख्त संदेश माना जा रहा है। ज्ञात हो कि अरपा-भैंसाझार परियोजना राज्य की प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं में से एक है, जिसके अंतर्गत सैकड़ों किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अनियमितता की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही थीं, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। इस मामले में आगे की जांच जारी है और संभावना है कि अन्य संबंधित अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जा सकती है।