बिलासपुर

रिश्वतखोरी को अंजाम देने वाला बाबू फंसा अपने ही जाल में…10 हजार नगद लेते रंगे हाथ गिरफ्तार,

भुवनेश्वर बंजारे

बिलासपुर – न्यायधानी में आदिम जाति कल्याण विभाग में शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने के ऐवज में रिश्वत मांगने वाले बाबू को रंगे हाथों एसीबी की टीम ने पकड़ा है। एसीबी की इस कार्यवाही से आदिम जाति कल्याण विभाग में हड़कंप मच गया है। मिली जानकारी के अनुसार एंटी करप्शन ब्यूरो को पूर्व में सिलयारी निवासी अभिलाष बर्मन ने शिकायत दर्ज कराई थी कि अभिलाष बर्मन ने साहू समाज की युवती से अंतर्जातीय विवाह कर अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत प्रोत्साहन राशि के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग में आवेदन किया था। जहा उन्हे 2 लाख 50 हजार रुपए की राशि जारी की जाती। सभी वैध दस्तावेजों को विभाग में जमा करने के बाद भी आदिम जाति कल्याण विभाग में पदस्थ बाबू मनोज तोंडेकर ने प्रोत्साहन राशि दिलाने के ऐवज में 10 हजार रूपए की मांग की थी। जिसकी शिकायत एसीबी की टीम को प्रार्थी युवक ने की थी। जिसके बाद एसीबी कि टीम ने पूरे मामले की गुप्त रूप से जांच की और फिर ट्रैप की योजना बनाई। जहा शुक्रवार को तयशुदा योजना के अनुसार जब बाबू ने आवेदक से रिश्वत की रकम स्वीकार की, तभी मौके पर मौजूद एसीबी की टीम ने उसे दबोच लिया। टीम ने उसके पास से रिश्वत की राशि बरामद भी कर ली है। फिलहाल आरोपी बाबू से एसीबी अधिकारी गहन पूछताछ कर रहे हैं। यह जांच की जा रही है कि वह कितने समय से इस तरह से घूसखोरी में लिप्त था और किन-किन लाभार्थियों को प्रोत्साहन राशि के नाम पर परेशान कर चुका है।

इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया है। इधर मामले में आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त पी सी लहरे ने मामले में अपना पल्ला झाड़ते हुए मीडिया से कहा कि उक्त मामले की उनको जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा की विभाग के सभी कर्मचारियों को काम के ऐवज में घूसखोरी नही करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए है। इसके बाद भी कोई कर्मचारी अपने स्तर पर रिश्वत लेता है। तो उसमे अधिकारी की कोई जवाबदारी नही है। उन्होंने कहा की ऐसे मामलो को लेकर अब भविष्य में मॉनिटरिंग की जाएगी। इस पूरे मामले में सवाल यह है। कि क्या विभागो में घूसखोरी प्रवृति को रोकने की जिम्मेदारी केवल एसीबी की टीम की है..? या इसे रोकने विभाग के आला अफसरों की भी उतनी ही जिम्मेदारी है जितनी एसीबी की टीम की!

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