तीसरे सावन सोमवार को स्वयं भू पातालेश्वर मंदिर मल्हार में उमड़े श्रद्धालु

सूरज सिंह
मल्हार – सावन माह के तीसरे सोमवार 24 जुलाई को धर्मनगरी मल्हार के प्रसिद्ध स्वयं भू भगवान पातालेश्वर महादेव मंदिर में हजारो भक्तों ने जलाभिषेक किया। इस दौरान सैकड़ो शिवभक्तों ने अपनी मनोकामना के लिए विभिन्न तरीके से पूजन कर भोलेनाथ को प्रसन्न कर आशीर्वाद लिया। वही दूरस्थ अंचलों से विभिन्न पवित्र नदियों से जल लेकर भगवान शिव में अभिषेक किया। कावड़ियों ने बोलबम हरहर महादेव के जयकारे लगाकर नगर को भक्तिमय कर दिया। कई भक्त ऐसे भी आए जिन्होंने अपनी मनोकामना पूरी होने पर विशेष पूजन कर श्रद्धालुओ को प्रसाद वितरण किया। बिलासपुर से आए स्वाति व संदीप अग्रवाल ने मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर परिसर में सवा लाख बत्तियों से घी का दीपक जलाया, उन्होंने बताया कि वे सपरिवार हर साल सावन माह के सोमवार को भगवान पातालेश्वर का दर्शन कर आशीर्वाद लेते है और जो भी मनोकामना हो वे पूरी होते है। इसी तरह नगर के मनीराम कैवर्त भी मानते है कि भगवान शिव सच मे भोले है क्योंकि उनसे पवित्र भाव से जो भी मांगो मिल ही जाता है इसीलिए वे सावन के प्रत्येक सोमवार को सैकड़ो भक्तों को प्रसाद के रूप में मोतीचूर के लड्डू देते है। रूपेश कैवर्त ने अपने पत्नी के सहयोग से श्रद्धालुओं को चाय बिस्किट खिलाकर आत्मसंतुष्टि का अहसास किया तो वही नगर के युवा राजेश्वर, दुकालू, महेंद्र व धनेश कैवर्त ने श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में फल खिलाकर भोलेनाथ से आशीर्वाद लिया। ऐसे ही कई श्रद्धालु है जो सावन माह में मंदिर आकर लोगो की सेवा करते है।
चारो दिशाओं में हैं शिव….
माना जाता है कि मल्हार को भगवान शंकर ने ही बसाया था इसलिए तो नगर के चारो दिशाओं में भगवान शिव विभिन्न रूपो में विराजमान है। समय समय पर उत्खनन के दौरान भी बड़ी संख्या में प्राचीन पत्थरो से बने शिव जी के स्वरूप के अलावा शिवलिंग भी मिले है। आदिकाल से यह नगरी शिव की नगरी के रूप प्रसिद्ध है। स्वयं माता पार्वती ने भी भगवान को पाने के लिए डिडनेश्वरी माता के रूप में घोर तपस्या की थी, माता के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव पाताल से प्रगट हुए थे इसीलिए यहाँ स्थापित शिवलिंग को पातालेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मल्हार में भगवान शंकर के विराजमान होने के प्रमाण भी प्राचीन मूर्तियों से मिलते है। मान्यता है कि विभिन्न पंथों के साधक भी मल्हार में तपस्या करते थे, खुदाई के दौरान कई ऐसे भी प्रमाण मिले जिससे कहा जाता रहा है कि शैव व शाक्त परम्परा के अनुयायियों के अलावा अघोर विद्या के साधक भी भगवान शंकर की उपासना करते थे। इसके अलावा त्रेता युग मे भगवान श्रीराम भी मल्हार आए थे जिन्होंने यहां के पवित्र परमेश्वरा सरोवर में स्नान कर भगवान पातालेश्वर में जलाभिषेक किये थे। तक से इस सरोवर की महिमा भी है जहां आज भी इस सरोवर के चारो दिशाओं ने शिवलिंग स्थापित है।