ऑनलाइन सायबर फ्रॉड में उपयोग हो रहे फर्जी बैंक खातों के खिलाफ पुलिस का बड़ा एक्शन…8 आरोपी गिरफ्तार

बिलासपुर – ऑनलाइन सायबर फ्रॉड के मामलों में तेजी से बढ़ रहे “म्यूल अकाउंट” के खिलाफ बिलासपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 08 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई पुलिस महानिरीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला (भा.पु.से.) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (भा.पु.से.) के निर्देशन में की गई। रेंज सायबर थाना और एसीसीयू बिलासपुर की संयुक्त टीम ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर म्यूल बैंक खातों की पहचान कर यह प्रभावी कदम उठाया। “म्यूल अकाउंट” उन बैंक खातों को कहा जाता है, जिनका इस्तेमाल सायबर ठग अवैध पैसों के लेन-देन में करते हैं। आरोपी लालच या प्रलोभन में आकर अपने बैंक खाते सायबर अपराधियों को उपलब्ध कराते हैं, जिससे ठगी की रकम को छुपाया जा सके। इस मामले में गिरफ्तार किए गए 08 आरोपियों के खातों से कुल 1.30 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी सामने आई है। गिरफ्तार आरोपियों में अब्दूल आदिल, संदीप श्रीवास, विकास केंवट, समीर कश्यप, कलेश कुमार धिवर, नागेश्वर ठाकूर, करन सिंह ठाकूर और परमेश्वर जायसवाल शामिल हैं। ये सभी आरोपी बिलासपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से हैं। पुलिस ने साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्टेड संदिग्ध खातों की जांच कर तकनीकी सूचनाओं, बैंक स्टेटमेंट और पीड़ितों के बयानों के आधार पर इन खातों का विश्लेषण किया। आरोपियों ने अपने खातों को डिजिटल अरेस्ट, फर्जी शेयर ट्रेडिंग ऐप, क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट, टेलीग्राम टास्क जैसे साइबर फ्रॉड गतिविधियों के लिए उपलब्ध कराया था। इस कार्रवाई में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर राजेन्द्र जायसवाल, एएसपी ग्रामीण अनुज कुमार, सीएसपी सिविल लाइन निमितेश सिंह सहित निरीक्षक राजेश मिश्रा, निरीक्षक रविशंकर तिवारी और अन्य पुलिसकर्मियों की अहम भूमिका रही।
पुलिस की अपील:-
बिलासपुर पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने बैंक खाते और मोबाइल सिम किसी अनजान व्यक्ति को न दें। मनी म्यूल बनना एक गंभीर अपराध है, जिसमें व्यक्ति अनजाने में भी अपराध का हिस्सा बन सकता है। यदि किसी संदिग्ध व्यक्ति द्वारा खाता या सिम मांगी जाती है, तो तुरंत नजदीकी थाना या पुलिस नियंत्रण कक्ष को सूचना दें।मनी म्यूल के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। पुलिस ने यह भी चेताया कि मनी म्यूल को भी धारा 3(5) बी.एन.एस. के अंतर्गत मुख्य अपराधी के बराबर सजा दी जा सकती है। संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की जानकारी तुरंत बैंक या पुलिस को देना अनिवार्य है।