सोना-चांदी की कीमतों में उछाल से बढ़ी व्यापारियों की चिंता…. मुख्यमंत्री से कल मिलेगा सराफा प्रतिनिधिमंडल विश्व मानक दिवस पर सराफा व्यापार के संरक्षण की उठेगी मांग: कमल सोनी

भुवनेश्वर बंजारे
रायपुर – वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, ब्याज दरों में संभावित कटौती और त्योहारी मांग के चलते आज सोना-चांदी के दामों में रिकॉर्ड उछाल दर्ज किया गया। रायपुर सहित पूरे प्रदेश के सराफा बाजारों में निवेशकों की हलचल बढ़ गई है। हालांकि, इस अप्रत्याशित तेजी ने परंपरागत सराफा व्यापारियों की चिंता भी बढ़ा दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका-चीन तनाव, मध्य पूर्व में जारी भू-राजनीतिक संकट और फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती की अटकलों ने निवेशकों को एक बार फिर सुरक्षित निवेश यानी “गोल्ड हेज” की ओर मोड़ दिया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना ₹12,75,00 प्रति 10 ग्राम के ऊपर पहुंच गया है, जिसे बाजार में तेजी का संकेत माना जा रहा है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इस स्तर पर खरीदारी में सतर्कता बरतनी चाहिए, क्योंकि मुनाफावसूली की संभावना बनी हुई है। वहीं, चांदी की कीमत भी ₹1,58,000 से ₹1,62,000 प्रति किलो के बीच बनी हुई है। स्थानीय बाजार में त्योहारी खरीदारी से कुछ सुधार दिखा है, पर बड़े कॉर्पोरेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म की बढ़ती पैठ से पारंपरिक व्यापारियों पर दबाव बढ़ रहा है।
पारंपरिक व्यापार को संरक्षण की मांग, मुख्यमंत्री से मुलाकात में उठेंगे अहम मुद्दे
छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कमल सोनी ने कहा कि, “सोना-चांदी के भावों में आई यह तेजी जहां निवेशकों के लिए फायदेमंद लग रही है, वहीं छोटे और पारंपरिक व्यापारियों के लिए यह चिंता का विषय है। बड़ी कंपनियां ऑनलाइन माध्यमों से अव्यवस्थित रूप से व्यापार कर रही हैं, जिससे पारंपरिक बाजारों की स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि कल, 14 अक्टूबर को विश्व मानक दिवस पर भारतीय मानक ब्यूरो और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में सराफा एसोसिएशन को एक मंच से अपनी बात रखने का “स्वर्णिम अवसर” मिला है। इस अवसर पर संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से भेंट कर प्रदेश के पारंपरिक सराफा व्यापार की सुरक्षा और नीति निर्माण की मांग करेगा। एसोसिएशन की प्रमुख मांगों में पारंपरिक व्यापार को राज्य की संरक्षण नीति में शामिल करना, स्वर्ण आभूषण नीति का गठन, ऑनलाइन मूल्य हेराफेरी की रोकथाम, तथा छोटे व्यापारियों के लिए ब्याजमुक्त ऋण सुविधा जैसी बातें शामिल हैं।
कमल सोनी ने कहा कि सराफा उद्योग न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रदेश की सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान का हिस्सा भी है। इसलिए सरकार को इस क्षेत्र के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। जहां एक ओर वैश्विक स्तर पर सोना-चांदी की कीमतों में उछाल निवेशकों के लिए अवसर बन रहा है, वहीं यह पारंपरिक सराफा व्यापारियों के लिए कठिन समय साबित हो रहा है। अब सबकी नजरें कल मुख्यमंत्री से होने वाली मुलाकात पर टिकी हैं, जिससे तय होगा कि प्रदेश सरकार इस “स्वर्णिम उद्योग” की रक्षा और पुनर्जीवन के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।