प्रदेश में भव्य शाला प्रवेश उत्सव मनाने की तैयारी…जिला कलेक्टर्स को दिए गए विशेष निर्देश,

रायपुर – प्रदेश में इस वर्ष शाला प्रवेश उत्सव को लेकर भव्य आयोजन किए जाएंगे जिसको लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किया है 8 बिंदु के जारी हुए इस निर्देश में हर तरह से शाला प्रवेश उत्सव को बच्चों के लिए यादगार बनाने पर जोर दिया गया है वहीं शिक्षा में रुचि बढ़ाने नवाचार करने के निर्देश दिए गए हैं। आपको बता दें कि इस वर्ष का प्रवेश उत्सव 16 जून से जोर-शोर से व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ 15 जुलाई तक आयोजित किया जाएगा। इसको लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि शाला प्रवेश उत्सव को जन-जन का अभियान बनाने के लिए व्यक्तिगत रूचि लेते हुए इसे सभी स्तर पर सफल बनाए, ताकि 6 से 14 वर्ष के शत् प्रतिशत बच्चों का शाला में प्रवेश और ठहराव सुनिश्चित करते हुए उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर समग्र शिक्षा के लक्ष्य का प्राप्ति की जा सके।
उत्सव को यादगार बनाने यह है, रणनीति..
शाला प्रवेश उत्सव आयोजन के लिए जारी निर्देश में कहा गया है कि सत्र की शुरूआत एक उत्सव के रूप में हो, बच्चों में पालकों के लिए यह दिन विशेष तौर पर यादगार बन सके। इसके लिए राज्य स्तर पर चयनित किसी एक स्कूल में, सभी जिला एवं विकासखण्डों में किसी एक चयनित शाला में, सभी शाला संकुलों में और सभी शालाओं में अपने-अपने स्तर पर अपनी-अपनी क्षमतानुसार प्रवेशोत्सव का आयोजन किया जाए। शाला प्रवेश उत्सव के विशेष शुरूआती कार्यक्रम के लिए समय निर्धारित करते हुए प्रारंभ में राजगीत, राष्ट्रगान, सम्मानीय अतिथियों का स्वागत एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया जाए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री के संदेश का वाचन के बाद नव प्रवेशित बच्चों का मिठाई, गुलाल, पुस्तक एवं गणवेश वितरण कर प्रतिभाशाली बच्चों का सम्मान एवं स्वागत किया जाए।
स्कूल त्यागी बच्चो को शिक्षा के मुख्य धारा में जोड़ने की सौंपी गई जिम्मेदारी…
शिक्षा सचिव द्वारा जारी निर्देश में यह स्पष्ट कहा गया है। की शाला में अध्यनरत बच्चों, शाला प्रबंधन समिति एवं समुदाय के माध्यम से रैली निकालकर और घर-घर सर्वे कर ऐसे बच्चों की पहचान कर ली जाए, जो शाला जाने योग्य हैं, शाला त्यागी या अप्रवेशी हैं, इसके साथ ही ऐसे सभी बच्चें जिनके शाला त्याग की संभावना है, जैसे घुमंतू बच्चे, पलायन करने वाले बच्चे, बहुत गरीब घरों के बच्चे, विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चे, नक्सल प्रभावित बच्चे, कोरोना से परिवार को खो चुके बच्चे आदि की पहचान कर उन्हें आस-पास संचालित आश्रम, छात्रावासों, पोटा केबिन, केजीबीव्ही एवं अन्य आवासीय सुविधाओं वाले केन्द्रों में प्रवेश के लिए आवश्यक प्रक्रिया करते हुए सभी पात्र बच्चों को प्रवेश दिलाते हुए निकट संचालित सभी केन्द्रों में शत-प्रतिशत सीटों को भरने के लिए आवश्यक पहल करें।