पचपेड़ी

आत्मानंद स्कूलों में कैसे शुरू होगी कक्षाएं… भवनों में पड़ी है निर्माण सामग्री, तो कही अन्य सामान, जल्द ही खुलने वाले है स्कूल

सूरज सिंह

मस्तूरी – छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय के संचालन को लेकर शिक्षा विभाग केवल खानापूर्ति करने में लगा है तभी तो खुद सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट गांव के धरातल में आते आते मूलमंत्र से ही भटक जा रहे है। शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों के सेजेस स्कूलों में स्मार्टनेस तो दूर शिक्षा सत्र की ठीक पहले जरूरी संसाधन तक उपलब्ध नहीं हो सके हैं, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या शिक्षा सत्र शुरू होते ही इन स्कूलों का संचालन सही ढंग से हो सकेगा.?

मस्तूरी ब्लाक अंतर्गत स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय पचपेड़ी की बात की जाए तो मौजूदा स्थिति वहां यह निर्मित हुई है कि स्कूल के प्रांगण में कंट्रक्शन के सामान अस्त-व्यस्त बिखरे हुए हैं जहां बच्चों को खेल मैदान जैसी बुनियादी सुविधा भी तात्कालिक रूप से उपलब्ध नहीं हो सकेगी, इन सबके अलावा स्कूल के कमरों में भी कंट्रक्शन के सामान को यूं बिखेर के रख दिया गया है मानो अभी उसको को खोलने में महीनों का समय हो,, इधर इस मामले में स्कूल के प्राचार्या सी के राठौर का कहना है कि शिक्षा सत्र के शुरू होने के साथ ही यहा सारी व्यवस्थाएं सुधार दी जाएंगी।

आपको बता दें की स्कूलों में करीब 1120 छात्र छात्राए अध्यनरत है। जिनके बैठने की व्यवस्था तक नही हो सकी है। जिसको लेकर स्कूल प्रबंधन दो पालियों में स्कूल लगाने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे है, यह परिस्थितियां केवल सेजेस पचपेड़ी नही बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश सेजेस स्कूलों में भी बनी हुई है आपको बता दें 26 जून से जिले में सभी स्कूल में अनिवार्य रूप से नए शिक्षा सत्र शुरू करने के निर्देश राज्य शासन से मिले हैं जहां उस स्कूलों में उचित व्यवस्था करने के निर्देश भी शासन द्वारा दिए गए हैं ऐसे में मुख्यमंत्री की ड्रीम प्रोजेक्ट स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट मीडियम में फैली ऐसी व्यवस्था कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग के कारण प्राणी पर कई सवाल खड़े कर रही है।

करोड़ों की स्वीकृति पर निर्माण कार्य के नाम पर की जा रही लीपापोत.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छात्र-छात्राओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बेहतर शिक्षा की मंशा से मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत करोड़ों रुपए की स्वीकृति इन विद्यालयों की मरम्मत के लिए दिए उस पर भी संबंधित विभाग के ठेकेदार पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। जिसका सीधा असर शिक्षा सत्र में पड़ रहा है।

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