शिक्षक पदोन्नति :- पोस्टिंग संशोधन निरस्त नही करने की मांग के साथ शिक्षक आये सामने…डिप्टी सीएम को सौंपा गया ज्ञापन
तखतपुर – प्रदेश में शिक्षक पदोन्नति के बाद हुए संशोधन आदेश को निरस्त करनें के अटकलों के बीच अब शिक्षक समुदाय के एक वर्ग ने संशोधन निरस्त नहीं करने की मांग की है। इसको लेकर शिक्षक समूह ने उप मुख्यमंत्री टीएस सिहदेव से मुलाकात कर अपनी मांगों को उनके समक्ष रखा है। जहा शिक्षको ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के सभी संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा द्वारा सहायक शिक्षक से शिक्षक व शिक्षक से प्रधान पाठक माध्यमिक शाला के पद पर काउंसलिंग द्वारा पदोन्नत किया गया। कई सहायक शिक्षकों को मिली हुई पदस्थापना में परेशानी होने के कारण संशोधन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। इसमें उनकी समस्याओं पर विचार करने के बाद आवेदन सही पाए जानें पर यथासंभव संशोधन आदेश जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के समस्त संभागीय कार्यालय द्वारा जारी किए संशोधन आदेश को यथावत रखा जाए, क्योंकि वर्षों पदोन्नति न होने के कारण सहायक शिक्षक एक ही पद पर पदस्थ थे। काउंसलिंग व संशोधन से हुई पदस्थापना से अब प्रदेश के हजारों सहायक शिक्षक लाभान्वित हुए हैं। विभाग में संशोधन सामान्य और नियमित प्रक्रिया रही है। पूर्व के वर्षों में भी सभी विभागों में यथासंभव संशोधन आदेश जारी किए गए हैं।
बीच शिक्षा सत्र में हुई आदेश निरस्त तो प्रभावित होगी पढ़ाई…
उप मुख्यमंत्री टीएस सिहदेव को ज्ञापन सौंपकर कहा की अगर अभी संशोधन आदेश निरस्त किया गया तो शिक्षको को परेशानी होगी ही साथ ही स्कूलों में पढ़ाई भी प्रभावित होगी। यही नहीं इसके अलावा शिक्षको को रिलीव ज्वाइन करने की प्रक्रिया में महीनो बीत जाएगा। जिससे शिक्षको को काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ेगा। शिक्षको के अनुसार पदोन्नत के बाद प्रदेश के अधिकांश शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों में भी शिक्षक पहुंच कर अपनी सेवा दे रहे है। अगर पदोन्नत या संशोधन आदेश निरस्त होता है। तो प्रत्यक्ष रूप से स्कूली छात्राओं को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
डीईओ से लेकर डीपीआई तक किया गया संशोधन, नियोक्ता का संशोधन आदेश निकालना गलत कैसे.?
ज्ञापन देने आए शिक्षको ने जानकारी देते हुए बताया कि सम्भाग स्तरीय शिक्षको के पदोन्नति प्रक्रियां के पूर्व में डीईओ स्तर पर भी सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक प्राइमरी स्कूल को प्रमोशन दिया गया था। जिसमे भी लगभग सभी जिलों में संशोधन कर शिक्षको को वर्तमान परिस्थियों के आधार पर पद स्थापना दिया गया था। उन्होंने कहा कि यही नहीं कई बार तो डीपीआई से भी संशोधन आदेश जारी किए गए हैं, अगर संभाग में सयुक्त संचालक जो की शिक्षको का नियोक्ता है। उनके द्वारा संशोधन आदेश जारी करना गलत है तो डीपीआई द्वारा पूर्व में किए गए संशोधन आदेश सही कैसे हो गए.? इन सवालों का जवाब शायद विभाग के अफसरों के पास भी नहीं है!