सीपत

एनटीपीसी की रोशनी कॉलोनी तक सीमित, बाहर अंधेरा और राख — राजेन्द्र धीवर का तीखा प्रहार

सीपत – एनटीपीसी सीपत के 51वें स्थापना दिवस पर जहां सयंत्र परिसर रोशनी और जश्न में नहाया हुआ था, वहीं बाहर के गांवों में अंधेरे, उपेक्षा और असंतोष का माहौल है। जिला पंचायत सदस्य एवं सीपत ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र धीवर ने गुरुवार को सीपत प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में एनटीपीसी प्रबंधन पर कड़ा हमला बोला।धीवर ने कहा कि एनटीपीसी की चमक सिर्फ उसकी कॉलोनी की दीवारों के भीतर है, बाहर सीपत और आसपास के गांवों में सिर्फ राख, टूटी सड़कें और बेरोजगारी की धूल उड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीपीसी ने विकास के नाम पर सिर्फ दिखावा किया है, जबकि असली विकास प्रभावित गांवों तक कभी पहुँचा ही नहीं।

प्रभावित गांवों में विकास की जगह विनाश

राजेन्द्र धीवर ने कहा कि सीपत, जांजी, कौड़िया, देवरी, रलिया, कर्रा और गतौरा जैसे मुख्य प्रभावित ग्राम आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। न सड़कें सुधरीं, न जल निकासी की व्यवस्था, न ही स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला। पाइपलाइन और रेललाइन से प्रभावित ग्राम के स्थानीय निवासी अब भी विकास के बाट जोह रहे हैं।

धीवर ने उठाए आठ बड़े सवाल, एनटीपीसी प्रबंधन को कठघरे में खड़ा किया

प्रेस वार्ता के माध्यम से उन्होंने एनटीपीसी से सीधी मांग करते हुए कहा कि सयंत्र में स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता मिले, राखड़ डेम से उड़ते धूल और प्रदूषण पर रोक लगाई जाए, दलदल प्रभावित किसानों को समय पर मुआवजा दिया जाए। कचरा प्रबंधन की अव्यवस्था को तत्काल दुरुस्त किया जाए, घटिया निर्माण करने वाली ठेकेदार कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए,स्थानीय मजदूरों के शोषण पर रोक लगे, सीएसआर फंड की राशि वास्तव में स्थानीय विकास पर खर्च हो तथा सड़कों की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी रखी जाए।

अब जनता बोलेगी राख नहीं, हक चाहिए

जिला पंचायत सदस्य राजेन्द्र धीवर ने कहा कि सीपत कांग्रेस कमेटी प्रभावित गांवों के सरपंचों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर एनटीपीसी के स्थापना दिवस के अवसर पर शुक्रवार को शाम 7: बजे सीपत के नवाडीह चौक में कैंडल मार्च में शामिल होंगी और बड़े जनआंदोलन की तैयारी कर रही सहयोग करेंगे। उन्होंने लोगो से अपील करते हुए कहा की अब वक्त आ गया है कि सीपत क्षेत्र की जनता दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने हक की लड़ाई लड़े। क्योंकि एनटीपीसी को जवाब देना ही होगा कि आखिर 25 साल की रोशनी में भी आसपास के गांव क्यों अंधेरे में हैं।

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